कुछ यादों की डायरी : मई 2021
कुछ बातें... बस अनकही सी रह जाती हैं..! कुछ पहलुओं को वापिस छूने में भी डर सा लगता है, मगर यादों से दूर नहीं भागा जा सकता.. कभी भी नहीं.. कहीं भी नहीं..!
मई की शुरूआत सामान्य ही हुई थी, जल्दी जल्दी से विस्तार खत्म करने के बाद नया फोन भी हाथ में आ गया था मगर उस वक्त वो फोन अच्छा नहीं लग रहा था। तबियत भी कुछ खास ठीक नहीं रहती थी, परदादा जी की तबीयत बेहद खराब हो गई.. आखिरी वक्त में हॉस्पिटल इसलिए नहीं ले जाने दिया गया क्योंकि फिर हमें उनका संस्कार नहीं करने दिया जाता।
परदादा जी ने इस बात के लिए खुद ही मना कर दिया, वे बड़ी दृढ़ इच्छाशक्ति वाले पुरुष थे, उतनी आयु में भी कभी चलना फिरना न छोड़ा था। जहां हम जैसे लोग नहाने से कतराते हैं, वे बारहों महीने हर दिन नहा धोकर भोलेनाथ को जल चढ़ाने के बाद ही अन्न ग्रहण करते थे। समय का कालचक्र बढ़ता गया, दस दिनों से वे बिस्तर से न उठ सके थे, और वहीं से दूसरे लोक को प्रस्थान कर गए।
उनका इस गांव और आसपास के कई गांवों में बेहद सम्मान था, अपने समय में वे गांव के सबसे बलशाली और शक्तिशाली पुरुष रहे थे। उन्होंने अपने हर दिन को खुलकर जिया, वे विशाल हृदय धारित मनुष्य थे। हालांकि कोरोना के कठोर गाइडलाइन के पश्चात भी बारी बारी कर उनसे मिलने सैकड़ों - हजारों लोग आए, उनकी अंतिम यात्रा में भी कई लोग शामिल हुए.. वे इकलौते पुरुष है जिनकी बुराई मैंने कभी नहीं सुनी.. ना उनके जीते जी, ना मृत्युपरांत..!
यह क्षति असहनीय थी, मगर वे स्वयं अक्सर कहा करते थे की मृत्यु जीवन का ही दूसरा पक्ष है, एक पक्ष के बाद दूसरे को तो आना ही है।
उसके बाद सभी संस्कार हुए, वे जाते जाते भी गम से ज्यादा खुशियां दे गए, भले सब कितना भी लड़ लें, उन्होंने हर किसी को प्यार से जीना सिखाया, जो परिवार आपस में उलझे हुए थे उन्हें मिलाया, जीते जी और जानें के बाद भी..!
मैने कभी मृत्यु का शोक नहीं किया, चोट लगे तो मरहम दे सकते हैं मगर मृत्यु कोई घाव नहीं है, वो भी तब जबकि वे अपना संपूर्ण जीवन जी चुके हों, वे लगभग सौ वर्ष के होने ही वाले थे..! उनके संस्कार के सभी कार्यक्रम में ही यह महीना गुजर गया, उनके जाने की कमी तो बेहद खलती है, मगर जब भी अपने आसपास देखता हूं तो ऐसा लगता है वे यही हैं, जाने वाला तो केवल शरीर है, उनका प्रेम, उनकी सीख, उनका अस्तित्व सब यही हैं और सदैव यहीं रहेगा..!
राधे राधे
ऋषभ दिव्येन्द्र
22-Dec-2021 11:46 PM
भावपूर्ण लिखा है आपने बन्धु 🙏🙏
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Swati chourasia
22-Dec-2021 09:05 PM
Bohot hi sahi likha hai aapne jane wale ki kami to khalti hi hai prantu wo hamare bich hi rahte hai hamari yaado me
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🤫
22-Dec-2021 08:41 PM
बेहतरीन डायरी लेखन शैली... आपकी mj
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